BJP-RSS Rift 18वीं लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा गठबंधन के बलबूते पर केंद्र में अपनी सरकार का गठन कर लिया गया। लेकिन उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मिली हार और अयोध्या जहां भव्य राम मंदिर का निर्माण अभी हाल ही में किया गया और उस सीट में हार जाना बीजेपी और आरएसएस के लिए एक सोचने वाला महत्वपूर्ण बिंदु है।
BJP-RSS, आरएसएस की नाराजगी: मोहन भागवत के बयान
आरएसएस को बीजेपी की रीड की हड्डी माना जाता है। हाल ही में नागपुर में आरएसएस के वार्षिक अधिवेशन में संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा कुछ ऐसी बातें कहीं गई जिससे अर्थ निकाला जा सकता है कि BJP-RSS की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं है।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय: निष्क्रियता और नाराजगी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस चुनाव में उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में आरएसएस कार्यकर्ताओं द्वारा पूरी तरह निष्क्रियता दिखाई गई। आरएसएस मोदी की गारंटी नहीं देश की गारंटी चाहता है। ऐसे लोगों को पार्टियों में शामिल करना जो हिंदुओं एवं RSS को भला बुरा कहते है, और ऐसे व्यक्तियों को पार्टी में अधिक महत्व देना जो बीजेपी और हिंदुओं के विरोध बयान देते रहे हैं इस से RSS बहुत खफा है। इसका पता हमें RSS के द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी अखबार Organiser से चलता है जिसमें बीजेपी की हार के कारण एवं भाजपा व आरएसएस में किन मुद्दों पर मत भेद रहे हैं इसकी खबर मिलती है।
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मोहन भागवत के बयानों में बढ़ते मतभेद
मोहन भागवत जी ने एक बयान दिया है कि सच्चा सेवक घमंडी नहीं होता गुस्से वाला अहंकारी नहीं होता। तथा मणिपुर पर ध्यान कौन देगा? किसने उनके हाथ में बंदूक दी? यह सोचने का प्रश्न है। यह प्रश्न विपक्ष द्वारा भी उठाया गया लेकिन उसकी उपेक्षा कर दी गई इससे यह समझ आता है कि आरएसएस और बीजेपी के मध्य मतभेद बड़ रहे हैं। बीजेपी का जन्मदाता RSS है लेकिन अब भाजपा अपनी ही विचारधारा को श्रेष्ठ समझ सभी को इसमें मिलने का प्रयास कर रही है। वही जेपी नड्डा का बयान कि अब बीजेपी आरएसएस के बिना भी रह सकती है इस बयान से बीजेपी को बहुत नुकसान पहुंचा।
लालकृष्ण आडवाणी और राम मंदिर का मुद्दा
लालकृष्ण आडवाणी जिन्होंने बाबरी मस्जिद और राम मंदिर के लिए भरसक प्रयास किया है उन्हें अस्वस्थ बताकर राम मंदिर उद्घाटन में ले जाया नहीं गया। RSS ने मोदी जी को पुजारी के भेष में खड़े होने का विरोध किया था और कहा था कि यह कार्य संत महात्माओं का है लेकिन मोदी जी ने इसे नहीं माना। अयोध्या के आसपास बसे लोग जिन्होंने मंदिर निर्माण तक नंगे पैर रहने एवं सर पर पगली ना पहनने की कसम खाई थी और मंदिर निर्माण में उनके पूर्वजों ने संघर्ष किया था उन्हें आरएसएस ने बुलाने का आग्रह किया था लेकिन उन्हें नहीं बुलाया गया।
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मोहन भागवत के भाषण के निष्कर्ष
यह सभी निष्कर्ष भागवत जी के नागपुर में दिए गए भाषणों से निकले गए हैं यहां भागवत जी ने कहा जो मर्यादा का पालन करते हुए कार्य करता है गर्व करता है किंतु लिप्त नहीं होता अहंकार नहीं करता वही सही अर्थ में सेवक कहलाता है। और आगे उन्होंने कहा चुनाव भी मुकाबला झूठ पर आधारित ना हो संसद में सहमति बनाने विपक्ष को विरोधी नहीं प्रतिपक्ष कहे।
BJP-RSS, भाजपा नेतृत्व में बदलाव की संभावना
इन सभी बातों से जेपी नड्डा और नरेंद्र मोदी के भविष्य को लेकर भी आरएसएस में मंथन चल रहा है। जेपी नड्डा के स्थान पर तो आरएसएस के अन्य लोगों का नाम सुझाए जा रहा है।वही नरेंद्र मोदी के स्थान पर भी आरएसएस अपनी कार्यशाला में किसी अन्य व्यक्ति की तलाश में है। मोहन भागवत जी इस दौरान गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ जी से खुश है। उनका मानना है कि योगी RSS के विचारधारा को आगे लेकर चल सकते हैं जैसा कभी मोदी जी लेकर चला करते थे। संभव है अगले प्रधानमंत्री पद के लिए योगी आदित्यनाथ का नाम RSS आगे करें।
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