कारगिल विजय दिवस, 26 जुलाई को प्रतिवर्ष मनाया जाता है, जो 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत की याद दिलाता है।
यह महत्वपूर्ण दिन उन भारतीय सैनिकों की बहादुरी को श्रद्धांजलि देता है जिन्होंने पाकिस्तानी सेना द्वारा घुसपैठ किए गए क्षेत्रों को पुनः प्राप्त किया।
यह दिन राष्ट्रीय गौरव, एकता और नायकों के बलिदान की याद को बढ़ावा देता है, तथा राष्ट्रव्यापी स्मरणोत्सव और समारोहों के माध्यम से उनकी वीरता को उजागर करता है।
कारगिल विजय दिवस का इतिहास भारत और पाकिस्तान के बीच उथल-पुथल भरे दौर से जुड़ा है, जिसमें 1971 का युद्ध भी शामिल है, जिसके कारण बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
मई 1999 में भारतीय सेना ने घुसपैठ का पता लगाया, जिसके बाद ऑपरेशन विजय की शुरुआत की गई।
भारतीय सेना ने भीषण लड़ाई के बाद टाइगर हिल सहित कई महत्वपूर्ण ठिकानों पर सफलतापूर्वक कब्ज़ा कर लिया। युद्ध 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ, जिसमें भारत को जीत तो मिली
कारगिल विजय दिवस राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति का एक शक्तिशाली प्रतीक है। कारगिल युद्ध ने भारत के सभी कोनों से लोगों को एक साथ लाकर सशस्त्र बलों के लिए उनके समर्थन में एकजुट किया
लचीलेपन और एकजुटता की इस सामूहिक भावना का जश्न कारगिल विजय दिवस पर मनाया जाता है, जिससे नागरिकों में राष्ट्रीय गौरव की भावना बढ़ती है।
कारगिल युद्ध के दौरान कई सैनिकों ने असाधारण वीरता का परिचय दिया। कैप्टन विक्रम बत्रा, जो अपनी प्रतिष्ठित घोषणा, "ये दिल मांगे मोर!" के लिए जाने जाते हैं।
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