देश के हृदय में स्थापित प्रदेश जिसे Madhya Pradesh / मध्यप्रदेश के नाम से जाना जाता है इस समय बहुत बड़ी आर्थिक समस्या का सामना कर रहा है। प्रदेश का निरंतर बढ़ता कर्ज अब प्रदेश की सरकार का सिर दर्द होता जा रहा है। हाल फिलहाल में खबर सामने हाई है कि प्रदेश सरकार वित्त वर्ष 2024– 25 के लिए 88540 करोड रुपए का कर्ज लेने जा रही है। यह पिछले बार की अपेक्षा डेढ़ गुना ज्यादा है यह पिछले बार की तुलना में ज्यादा ही नहीं बल्कि अब तक सरकारों द्वारा लिए कर्ज में सबसे अधिक है।

Madhya Pradesh के ऊपर कुल कर्ज?

वित्त वर्ष 2024–25 के लिए प्रदेश सरकार 88540 करोड रुपए का कर्ज लेने जा रही है। जिसमें लगभग 73540 करोड रुपए बाजार और 15000 करोड़ भारत सरकार से लेने की योजना है। वहीं वित्त वर्ष 2023–24 में सरकार को 55708 करोड रुपए का कर्ज लेना पड़ा था। वर्तमान प्रस्तावित कर्ज के बाद मध्य प्रदेश पर लगभग 4.38 लाख करोड़ का कर्ज हो जाएगा।

CM of MP Mohan Yadav
CM of MP Mohan Yadav

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Madhya Pradesh के ऊपर कर्ज के कारण?

फ्री वीज के कारण मध्यप्रदेश सरकार पर आर्थिक भार पड़ रहा है यही कारण है कि सरकार को अपनी फ्लैगशिप योजनाओं के लिए लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है लाडली बहन योजनाओं के लिए हर साल लगभग 18000 करोड़ चाहिए। इसके अलावा ₹100 में 100 यूनिट बिजली के लिए सरकार को 5500 करोड़ का खर्च करना होता है। वहीं दूसरी और किसानों को कृषि पंपों पर सब्सिडी देना जिसमें लगभग 17000 करोड रुपए का खर्च है।

Madhya Pradesh बजट का कितना हिस्सा जाता है वेतन भत्ते में?

वित्त वर्ष 2021-22 में कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर खर्च लगभग 60000 करोड रुपए था जो की बजट का 24%। साल 2023-24 में यही खर्च बजट का 27.5% हो गया।

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क्या कहते हैं कर्ज के मामलों में विभिन्न राज्यों के आंकड़े

भारतीय रिजर्व बैंक की state finance report 2022-23 के अनुसार विभिन्न राज्यों में कर्ज की स्थिति –

StateDebt
उत्तर प्रदेश7.84 लाख करोड़
मध्य प्रदेश4.38 लाख करोड़
गुजरात3.40 लाख करोड़
पंजाब3.12 लाख करोड़
हिमाचल प्रदेश75 हजार करोड़
Debt Table of different State

मध्यप्रदेश की यह स्थिति अन्य राज्यों की तरह ही चिंताजनक है। यह स्थिति न केवल वर्तमान वित्तीय वर्ष को प्रभावित कर रही है, बल्कि आने वाले वर्षों में भी सरकार की योजनाओं और विकास कार्यों पर असर डाल सकती है। प्रदेश सरकार को इस आर्थिक संकट से निपटने के लिए दीर्घकालिक और स्थायी समाधान की तलाश करनी होगी।

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