Petrodollar Agreement, अमेरिका अभी भी रूस द्वारा क्यूबा में परमाणु पनडुब्बी और चंगी जहाज की तैनाती जैसे मसलों से गुजर ही रहा था कि इसी बीच सऊदी अरब द्वारा अमेरिका को एक जोरदार झटका दिया गया अर्थात सऊदी अरब और अमेरिका के मध्य लगभग 50 वर्षों से चला आ रहा petrodollar agreement रद्द कर जाने की खबर सामने आ रही है। इसमें सऊदी अरब की अमेरिका के प्रति खत्ताहस जग जाहिर हो गई है। और यह भी समझ आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कोई स्थाई मित्र या कोई स्थाई शत्रु नहीं होता।
8 जून, 1974 को सऊदी अरब और अमेरिका के बीच पेट्रोडॉलर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
Petrodollar Agreement: क्या है इसका मतलब?
पेट्रोल डॉलर एग्रीमेंट इसका मतलब होता है कि अगर किसी भी देश द्वारा सऊदी अरब से पेट्रोल खरीदा जाएगा तो उसका भुगतान केवल डॉलर में ही किया जाएगा यह एग्रीमेंट 1973 में OPEC देश और इजरायल के मध्य युद्ध और अमेरिका द्वारा इजराइल की सहायता और फिर OPEC देशों द्वारा तेल की कीमतों में 300% की वृद्धि जैसे कारकों के कारण किया गया था।
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अमेरिका की चिंता और TREASURY Bill का प्रलोभन
Petrodollar Agreement से अरब को बहुत फायदा हुआ जिस से सऊदी अरब में GDP और विकास बहुत तेजी से बड़े। अमेरिका को पुनः चिंता होने लगी और उसके द्वारा सऊदी अरब को TREASURY Bill देने का प्रलोबन दिया, ट्रेजरी बिल वे bill होते हैं जो अमेरिका द्वारा डॉलर जमा करने के बदले में दिए जाते हैं। ट्रेजरी बिल देने पर देश पुण डॉलर प्राप्त कर सकता है। अमेरिका की यह चाल कामयाब रही और ट्रेजरी बिल के बहाने डॉलर पुनः अमेरिका पहुंचता रहा धीरे-धीरे चीन एवं भारत जैसे देशों के मन में बात घर करने लगी की किस तरह अमेरिका डॉलर के वर्चस्व को समाप्त किया जाए।
डॉलर के वर्चस्व को समाप्त करने के प्रयास
BRICS देशों द्वारा डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए अपनी स्थानीय मुद्रा में व्यापार करने का निर्णय लिया गया, वहीं चीन ने भी सऊदी अरब को डॉलर में व्यापार न करने के लिए राजी कर लिया। वहीं रूस के द्वारा उन्नत किस्म के हथियारों की खरीद के लिए सऊदी अरब से अपने देश की मुद्राओं में व्यापार करने की इच्छा जताई। BRICS देश भी अपनी BRICS CURRENCY शुरू करने के प्रयास में है।
🇸🇦 🇺🇸 Saudi Arabia's 50-year-old petrodollar agreement with the United States has expired, with no new agreement in place.
— BRICS News (@BRICSinfo) June 12, 2024
Saudi Arabia will now sell oil in multiple currencies, including the Chinese RMB, Euros, Yen, and Yuan, instead of exclusively in US dollars. pic.twitter.com/MxdUn8t2ZP
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रूस और चीन द्वारा भी बार-बार सऊदी अरब से कहा गया कि सऊदी अरब को पहले पेट्रोल डॉलर एग्रीमेंट से मुक्त होना पड़ेगा तथा अन्य देशों के साथ व्यापार उनकी की मुद्रा में करना पड़ेगा जिससे दुनिया सऊदी अरब को अमेरिकी पिट्टू नहीं कहेगी।
Petrodollar Agreement का समापन
सऊदी अरब में 9 जून को प्रतिवर्ष रिन्यू होने वाले Petrodollar Agreement को इस बार नवीनीकरण नहीं किया गया, क्योंकि प्रतवर्ष सऊदी अरब तीन ट्रिलियन का अकेला तेल का व्यापार डॉलर में करता है, जो भारत की कुल जीडीपी के बराबर है। यदि ऐसा होता है तो अमेरिका अर्थव्यवस्था को उससे बहुत बड़ा आघात पहुंचेगा।
रूस की भूमिका और प्रतिक्रिया
यह माना जा रहा है कि यह घटना रूस के उकसाने के कारण हुई है। क्योंकि यूरोपीय देश और अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए हैं। अमेरिका ने रूस से कहा है कि मैं रूस से डॉलर आने नहीं दूंगा, वही रूस ने अमेरिका को कहा है कि मैं शेयर मार्केट में डॉलर नहीं चलने दूंगा।
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सऊदी अरब का आधिकारिक बयान
अंत में यही सऊदी अरब का कहना है कि यह मामला केवल अखबारों की सुर्खियां है। वास्तव में अभी ऐसा कोई प्रयास नहीं है लेकिन यह भी सच है कि Petrodollar Agreement आगे नहीं बढ़ाया गया है। और यदि ऐसा होता है तो यह अमेरिका के लिए बहुत अपमानजनक बात होगी। और दुनिया के लिए यह नए उगते हुए सूरज का प्रतिबिंब रहेगा І
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